Pride Of Maharashtra

CALL US : 8983441421

Untitled (900 × 150 px) (900 × 300 px)

Gems of Maharashtra, their inspiring stories – a digital data.

Uncategorized

राजा…

ये हैं असली ‘हीरो’

ये स्टोरी है नागपुर के राजा की, जो राजकपूर के जबरा फैन थे। राज जी से इंस्पायर होकर 20 साल की उम्र में  हीरो बनने मुंबई पहुंचे। बहुत स्ट्रगल करने के बाद छोटा सा काम मिला एक्टर्स को हिन्दी में सही तरीके  से डॉयलॉग बुलवाने का। थोड़े दिन बाद आर.के. स्टूडियो में काम मिल गया। वहां इनकी भगवान दादा से दोस्ती हो गई। ये वही भगवान दादा हैं जिनकी डांस की नकल अमिताभ बच्चन किया करते हैं- ऐसा कहा जाता है।

खैर, भगवान दादा ने राजा की दोस्ती फिल्म डायरेक्टर जागीरदार से करवाई। जागीरदार इनसे बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने राजा को एक फिल्म की कहानी लिखने का ऑफर दिया। कहानी पढ़कर जागीरदार ने फिल्म बनाने का फैसला किया। फिल्म का नाम रखा गया ‘बहू’। जागीरदार ने राजा को ही फिल्म का हीरो बनाया। कुछ रील बनने के बाद फिल्म रूक गई। वजह आर्थिक हालत खस्ता। राजा का संघर्ष फिर शुरू हो गया। बहुत संघर्ष के बाद जब कुछ हाथ नहीं लगा तो वो घर लौट आए। परिवार वाले पहले से ही नाराज थे। उन्होंने कोई मदद नहीं की। राजा ने नागपुर आकर टयूशन शुरू की और मॉरिस कॉलेज में एडमिशन लिया।  समय का खेल देखिए राजा को बीए और एमए में गोल्ड मेडल मिला। उन्होंने कई रिकार्ड तोड़े। उनका चयन आईएएस के लिए हो गया। वे मध्यप्रदेश में कई जगह कलेक्टर के पद पर रहे। उन्हें कई अवार्डों से नवाजा गया।  वे एक दबंग अधिकारी के रूप में आज भी याद किए जाते हैं। हालांकि अब वे इस दुनिया में नहीं है। लेकिन उनकी ये स्टोरी आज भी रास्ता दिखाती है।

धोखा हुआ पर, हिम्मत नहीं हारी

सचिन्द्र शर्मा खुद भी स्ट्रगलर रहे हैं। 21 साल की उम्र में छोटी-छोटी हथेलियों में बड़े-बड़े सपने लेकर मुंबई पहुंचे। दूसरे ही दिन एक फिल्म में छोटा सा रोल भी मिल गया। लगने लगा अब सपने सच हो जाएंगे। लेकिन उनके सारे सपने टूट गए। स्ट्रगल का लंबा दौर शुरू हुआ पर उन्होंने  हिम्मत नहीं हारी। बॉलीवुड में अपना मुकाम बनाया। आज वे एक सफल प्रोडयूसर और डायरेक्टर हैं।

स्टोरी खुद सचिन्द्र शर्मा की है। उनके साथ कैसे धोखा हुआ,  उन्हीं की जुबानी-आधी रात को मैं मुंबई के एक स्टेशन पर उतरा। मेरी जेब में 5 हजार रूपए थे। सुबह मुझे जानकारी मिली की एक जगह पर शूटिंग चल रही है। मैं वहां पहुंच गया और डायरेक्टर से मिला। उन्होंने मुझे बैठने के लिए कहा। थोड़ी देर में एक लड़का आया और बोला तुमको डायरेक्टर साहब ने बुलाया है।पता चला कि एक आर्टिस्ट नहीं आया है जिसके कारण शूटिंग रूकी हुई है। डायरेक्टर ने मुझसे पूछा तुम काम करोगे, मैंने तुरंत हामी भर दी। मैं खुशी-खुशी घर लौट आया। अखबारों में फिल्म के बारे में पढ़ा। बहुत दिन बीत गए पर फिल्म रिलीज नहीं हुई। जब मैंने इस बारे में डायरेक्टर से पूछा तो वे बोले घर से रूपए मंगाओ । फेम के लिए रूपए तो खर्च करने ही पड़ेंगे। मैंने तुरंत 4 हजार रूपए दे दिए। बाद में पता चला कि माजरा कुछ और ही था। खैर बचे 1 हजार रूपए से मैंने कैसे दिन काटे, मैं ही जानता हूं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और आज इस मुकाम पर हूं।

स्ट्रगल को सक्सेस स्टोरी बनाएगा ‘बॉलीवुड कॉलिंग’

स्ट्रगलर के दर्द को सचिन्द्र से अच्छा भला कौन समझ सकता है। उनके मन में बहुत दिनों से स्ट्रगलरर्स के लिए कुछ करने की इच्छा थी। लेकिन सवाल यह था कि ऐसा क्या करें जिससे स्ट्रगलरर्स को मुंबई आने के बाद धक्के ना खाना पड़े और मंजिल भी मिल जाए। आखिर उन्हें एक आइडिया सूझा। क्यों ना इनके लिए एक प्लेटफार्म बनाया जाए। बस….यहीं से शुरू हुआ ‘बॉलीवुड कॉलिंग’ का सफर। महाराष्ट्र खबर 24 से बातचीत करते हुए प्रोडयूसर व डायरेक्टर  सचिंद्र शर्मा ने कहा कि फिल्मों में काम करने की इच्छा लिए हर दिन , हजारों लोग यह आजमाने के लिए इस शहर का रुख करते हैं कि क्या उनकी किस्मत सिनेमा की दुनिया में उन्हें चमक दिलाएगी? पर अधिकांश लोग असफल हो जाते हैं। संघर्ष से घबराकर खाली हाथ घर भी लौट जाते हैं। कोई फ्रॉड का शिकार हो जाता है। कोई  गलत रास्ता पकड़ लेता है। ऐसे ही कई प्रतिभाएं दम तोड़ देती हैं। इसका सिर्फ एक ही कारण होता है सही मार्गदर्शन और सही जानकारी का ना होना। इसलिए हमने तय किया कि ‘बॉलीवुड कॉलिंग’ के प्लेटफार्म से फिल्म पटकथा, अभिनय, निर्देशन, मॉडलिंग, डान्सिंग, गीत-संगीत और पोस्ट प्रोडक्शन से जुड़ी अहम जानकारियां दी जाएं। ताकि स्ट्रगलर अपने संघर्ष को सक्सेस स्टोरी बना सके। सीनियर जर्नलिस्ट ज्योति वेंकटेश कहते हैं नए लोगों को कोई जानकारी नहीं होती। इसलिए वे भटक जाते हैं। हम उन्हें सही रास्ता दिखाकर उनका करियर खराब होने से बचाना चाहते हैं।

प्रशांत वाल्दे

इंजीनियर से बने बॉडी डबल

कन्फ्यूज हो गए ना! तस्वीर में किंगखान नहीं बल्कि उनके डुप्लीकेट हैँ। आज हम बात कर रहे हैं शाहरूख खान के बॉडी डबल प्रशांत वाल्दे की। नागपुर से इंजीनिरिंग की डिग्री ली।शहर के एक डांस इंस्टीटयूट में कोरियोग्राफर का काम करने के साथ इवेंट भी आर्गेनाइज करने लगे।इस दौरान जब भी मंच पर जाते लोग शाहरूख…शाहरूख करके आवाज देते। एक दिन अचानक पत्नी से बोले मैं किस्मत आजमाने मुंबई जाना चाहता हूं। पत्नी ने 1200 रु. दिए और पहुंच गए मुंबई। यहां शुरू हुआ संघर्ष।2007 की बात है फिल्मों में बतौर कोरियोग्राफर काम शुरू किया। किस्मत और मेहनत रंग लाई और फिल्म ‘ओम शांति ओम’के सेट पर शाहरुख खान से पहली मुलाकात हुई। बस..तब से आज तक उनके साथ हैं। प्रशांत ने कहा कि शाहरूख सर  मुझे बहुत पसंद करते हैं और बेटा कहकर बुलाते हैं।कहते हैं बड़े पेड़ के नीचे छोटा पेड़ कभी फलता-फूलता नहीं। पर ये भी सच है कि हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती। उस पर मेहनत और लगन का जज्बा हो तो कहना ही क्या। यही वजह है कि आज प्रशांत अपने टेलेंट के दम पर अपनी पहली फ़िल्म ‘प्रेमातुर’ के साथ बॉलीवुड में छा जाने के लिए तैयार हैं।

 ‘फैन’ से पूरा हुआ ड्रीम

प्रशांत ने बताया कि मैं पिछले 15  सालों से शाहरूख भाई के साथ काम कर रहा हूं। मैंने उनके साथ  ओम शांति ओम , डॉन , चेन्नई एक्सप्रेस , डीयर जिंदगी , रईस  , फैन जैसी कई फिल्मों बॉडी डबल का काम किया है। परंतु फिल्म ‘फैन’ में पहली बार मेरे काम को नोटिस किया गया और मेरे नाम को क्रेडिट दिया गया। प्रशांत ने बताया कि ‘फैन’ के कई सीन्स में वे साफ दिखाई दे रहे हैं

लोग हो जाते हैं कन्फ्यूज

प्रशांत बताते हैं कि कई बार ऐसा मौका आता है जब भीड़ को हटाना हो या भीड़ वाली जगह में जाना हो वहां प्रशांत पहुंच जाते हैं और लोग उन्हें शाहरूख खान समझ लेते हैं।कई बार ऐसा होता है कि शाहरूख खान के बंगले के सामने फैनस की भीड़ लग जाती है, वे अनकंट्रोल्ड होने लगते हैं , तब उन्हें प्रशांत ही कंट्रोल करते हैं।दूर से देखकर लोग उन्हें शाहरूख समझ लेते हैं और उनकी बात मान लेते हैं।

स्टंटस मेरे लिए चैलेंज

प्रशांत ने कहा कि शाहरूख खान बहुत व्यस्त और महंगे एक्टर हैं। उनके पास समय नहीं रहता। इसलिए जब किसी लॉन्ग शॉट की जरूरत होती है, जिसमें चेहरा दिखाना जरूरी न हो, तब शाहरूख की जगह उनसे काम लिया जाता है। प्रशांत बताते हैं कि जो खतरनाक स्टंट करने से शाहरूख मना कर देते हैं उसे मैं हर कीमत पर करता हूं, चाहे वो कितना भी डेंजर क्यों न हो। वो मेरे लिए एक चुनौती होता है। कई बार एडिट टेबल पर फँसे कई दृश्यों की रीशूट के लिए भी प्रशांत की मदद ली जाती है।

किंगखान के  फैन हैं प्रशांत

प्रशांत खुद शाहरूख के जबरा फैन हैं। इसलिए उन्होंने  अपनी पहली फिल्म को किंग खान को डेडिकेट किया है।  प्रशांत ने बताया कि मैं शाहरुख़ भाई का जबर्दस्त फैन हूं। इसलिए अपनी पहली फिल्म ‘प्रेमातुर’ किंग खान को समर्पित करते हुए फिल्म में उनके बहुत  सारे पॉपुलर मूव्स और मूवमेंट्स रखे हैं।

संकेत  वाघे

विवेकानंद को पढ़ते-पढ़ते बन गए IAS

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा- 2020 को ऑल इंडिया रैंक-266 के साथ पहले ही प्रयास में पास करने वाले संकेत  वाघे स्वामी विवेकानंद से अत्यधिक प्रभावित रहे हैं। स्वामी जी के कथन – ‘उठो, जागो और तब तक नहीं रूको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए’ को संकेत ने अपने जीवन का मूलमंत्र बना लिया। वे स्नातक और स्नातकोत्तर अवधि (2015 से 2019) के दौरान नागपुर के धंतोली स्थित रामकृष्ण मठ विवेकानंद विद्यार्थी भवन के छात्र थे। इस दौरान उन्हें विवेकानंद विद्यार्थी भवन के ‘सर्वश्रेष्ठ छात्र पुरस्कार’ और राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज विश्वविद्यालय, नागपुर की ओर से भी ‘सर्वश्रेष्ठ छात्र अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया था।

नागपुर ; धंतोली स्थित रामकृष्ण मठ

स्वामी विवेकानंद के विचारों से अत्यधिक प्रभावित होकर उन्होंने ‘चरित्र और राष्ट्र निर्माण’ का सपना देखा है। विवेकानंद विद्यार्थी भवन में अपने प्रवास के दौरान उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक और कला और परंपरा, भारतीय संत, भारतीय क्रांतिकारी, समाज सुधारक, आदि जैसे विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिए हैं। संकेत अपनी दिनचर्या, अध्ययन, प्रार्थना और रामकृष्ण मठ की विभिन्न सेवाओं में नियमित थे। इस दौरान उन्होंने  स्टडी सर्कल के को-ऑर्डिनेटर, हॉस्टल के असिस्टेंट वार्डन, मैथ हॉस्टल के जूनियर स्टूडेंट्स के मेंटर जैसी विभिन्न जिम्मेदारियां संभाली।

संकेत ने रामकृष्ण मठ के तत्कालीन वार्डन स्वामी ज्ञानमूर्तिानंद महाराज के प्रमुख रेव स्वामी ब्रह्मस्थानंद जी महाराज से मार्गदर्शन प्राप्त किया। संकेत की सफलता पर  रामकृष्ण मठ के प्रमुख परम पूज्य स्वामी ब्रह्मस्थानंद महाराज, स्वामी ज्ञानमूर्तिानंद तत्कालीन वार्डन और अन्य संन्यासी, ब्रह्मचारी, रामकृष्ण मठ के भक्तों ने उन्हें बधाई दी है।साथ ही  श्री श्री रामकृष्ण, पवित्र माता श्री शारदा देवी और महान स्वामी विवेकानंद से उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रार्थना की है।

लीजा स्टालगर

अनाथालय से आस्ट्रेलिया टीम कैप्टन तक की यात्रा

“जन्म देने के बाद लड़की को फेंकने वाले माता-पिता अंदर ही अंदर रो रहे होंगे क्योंकि वे अपनी पैदा हुई बेटी से भी नहीं मिल सकते” महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक अनाथालय है, जिसे ‘श्रीवास्तव अनाथालय’ कहा जाता है। 13 अगस्त 1979 को शहर के एक अनजान कोने में एक लड़की का जन्म हुआ, माता-पिता को नहीं पता था कि यह एक मजबूरी है, कि उन्होंने सुबह-सुबह इस अनाथालय के पालने में अपने जिगर का एक टुकड़ा फेंक दिया, प्रबंधक अनाथालय की प्यारी सी बच्ची का नाम ‘लैला’ रखा गया।

उन दिनों हरेन और सू नाम का एक अमेरिकी जोड़ा भारत घूमने आया था। उनके परिवार में पहले से ही एक लड़की थी, भारत आने का उनका मकसद एक लड़के को गोद लेना था। वे एक सुन्दर लड़के की तलाश में इस आश्रम में आए। उन्हें एक लड़का नहीं मिला, लेकिन सू की नज़र लैला पर पड़ी और लड़की की चमकीली भूरी आँखों और मासूम चेहरे को देखकर उसे उससे प्यार हो गया।

कानूनी कार्रवाई करने के बाद, लड़की को गोद ले लिया गया, सू ने अपना नाम लैला से बदलकर ‘लिज’ कर लिया, वे वापस अमेरिका चले गए, लेकिन कुछ वर्षों के बाद वे सिडनी में स्थायी रूप से बस गए। पिता ने बेटी को क्रिकेट खेलना सिखाया, घर के पार्क से शुरू होकर गली के लड़के के साथ खेलने तक का यह सफर चला। क्रिकेट के प्रति उनका जुनून अपार था, लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई भी पूरी की। उसे एक अच्छा मौकि मिला, उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और आगे बढ़ गई। पहले वो बोलती थीं, फिर उनका बल्ला बोलने लगा और फिर उनके रिकॉर्ड बात करने लगे.

बहुत खूब! ऑस्ट्रेलियाई कप्तान

– ODI और T-20 – चार विश्व कप में भाग लिया.
2013 में टीम ने क्रिकेट विश्व कप जीता, उसके अगले दिन इस खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया.
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने लीजा स्टालगर को अपने हॉल ऑफ फेम में शामिल किया है.
वनडे में 1000 रन और 100 विकेट लेने वाली पहली महिला क्रिकेटर.
जब आईसीसी की रैंकिंग प्रणाली शुरू हुई तो लीजा दुनिया के नंबर एक ऑलराउंडर थीं.
सफलता की कहानी

1997- न्यू-साउथ वेल्स द्वारा पहला मैच
2001- ऑस्ट्रेलिया का पहला ODI
वनडे में 1000 रन और 100 विकेट लेने वाली पहली महिला क्रिकेटर
2003- ऑस्ट्रेलिया द्वारा पहला टेस्ट
2005- ऑस्ट्रेलिया द्वारा पहला टी20
आठ टेस्ट मैच, 416 रन, 23 विकेट
125 वनडे, 2728 रन, 146 विकेट
54 टी-20, 769 रन, 60 विकेट
आईसीसी की रैंकिंग प्रणाली शुरू हुई तो दुनिया की नंबर 1 ऑलराउंडर थी